Apoorva Shukla

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लेखनी कविता - कलम का जादू

मैं सोचती हूं कि  क्या करूं
 क्या  तेरे नाम अपना जहां करूँ... 
 के जब जाऊँ इस दुनिया से
 तेरी याद में ही रह जाऊं.... 
जिंदगी दे दूं क्या
 या मौत से कुछ इल्तिजा करूँ... 
 तेरी बातों को सोचती रहूं
 तेरे खयाल में ही दिन बिताऊ ... 
चंद अल्फाज कहने थे तुझे 
शायद अब मैं तुझसे कह ना पाऊँ.. 
बड़े एहसान रहे इस कलम के 
जो तुझसे ना कह सके... 
दुनिया तक पहुंचा दिया
एक दिन पहुंचेगी इल्तजा मेरी... 
 तुझ तक भी
बस इस उम्मीद में यह सिलसिला
 इज़ाद करूँ... 
अपूर्वा शुक्ला🍁✍


# प्रतियोगिता कलम का जादू


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8 Comments

उत्तम, उत्कृष्ट, सर्वोत्तम

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Gunjan Kamal

22-Nov-2022 11:02 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Sachin dev

21-Nov-2022 04:48 PM

Well done ✅

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Apoorva Shukla

21-Nov-2022 08:32 PM

Thanks

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